
प्रत्येक व्यक्ति की यह इच्छा रहती है कि असका जीवन सुखपूर्ण रहें, कभी किसी चीज की कमी न हो, सुन्दर घर, नोकर-चाकर, गाडिया, महंगा मोबाईन फोन हो, किसी को तो यह सुविधा जन्मजात ही नसीब होती है, किसी को मेहनत से प्राप्त होती है और किसी को प्राप्त ही नही होती हैं। ऐसा क्यों ? होता है, आइये जाने।
सम्पूर्ण भोग विलास की चीजों का क्षेत्राधिकार ग्रहो में शुक्र ग्रह को प्राप्त हैं, जनकी पत्रिका में ये शुभ भावगत, बली होते है, उन्हें उपरोक्त चीजों का सुख प्राप्त होता हैं। जिनकी पत्रिका में कमजोर होते हैं, उन्हें उपरोक्त चीजों का सुख प्राप्त नही होता हैं। ऐसा नही हैं कि कमजोर शुक्र को बली नही बनाया जा सकता हैं। शुक्र ही नही प्रत्येक ग्रह को बली बनाया जा सकता हैं। यहा हम शुक्र ग्रह को बली बनाने के उपाय के बारे में चर्चा करेंगे।
ग्रहों में शुक्र को विवाह व वाहन का कारक ग्रह कहा गया है। शुक्र के उपाय करने से वैवाहिक सुख की प्राप्ति की संभावनाएं बनती है।
शुक्र ग्रह के उपाय
1. शुक्र की वस्तुओं से स्नान - ग्रह की वस्तुओं से स्नान करना उपायों के अन्तर्गत आता है. शुक्र का स्नान उपाय करते समय जल में बडी इलायची डालकर उबाल कर इस जल को स्नान के पानी में मिलाया जाता है . इसके बाद इस पानी से स्नान किया जाता है. स्नान करने से वस्तु का प्रभाव व्यक्ति पर प्रत्यक्ष रुप से पडता है. तथा शुक्र के दोषों का निवारण होता है।
यह उपाय करते समय व्यक्ति को अपनी शुद्धता का ध्यान रखना चाहिए। तथा उपाय करने कि अवधि के दौरान शुक्र देव का ध्यान करने से उपाय की शुभता में वृ्द्धि होती है। इसके दौरान शुक्र मंत्र का जाप करने से भी शुक्र के उपाय के फलों को सहयोग प्राप्त होता है।
2. शुक्र की वस्तुओं का दान - शुक्र की दान देने वाली वस्तुओं में घी व चावन का दान किया जाता है। इसके अतिरिक्त शुक्र क्योकि भोग-विलास के कारक ग्रह है। इसलिये सुख- आराम की वस्तुओं का भी दान किया जा सकता है। बनाव -श्रंगार की वस्तुओं का दान भी इसके अन्तर्गत किया जा सकता है । दान क्रिया में दान करने वाले व्यक्ति में श्रद्धा व विश्वास होना आवश्यक है। तथा यह दान व्यक्ति को अपने हाथों से करना चाहिए। दान से पहले अपने बडों का आशिर्वाद लेना उपाय की शुभता को बढाने में सहयोग करता है।
3. शुक्र मन्त्र का जाप - शुक्र के इस उपाय में निम्न श्लोक का पाठ किया जाता है।
"ऊँ जयन्ती मंगला काली भद्रकाली
दुर्गा क्षमा शिवा धात्री स्वाहा स्वधा "
शुक्र के अशुभ गोचर की अवधि या फिर शुक्र की दशा में इस श्लोक का पाठ प्रतिदिन या फिर शुक्रवार के दिन करने पर इस समय के अशुभ फलों में कमी होने की संभावना बनती है। मुंह के अशुद्ध होने पर मंत्र का जाप नहीं करना चाहिए। ऐसा करने पर विपरीत फल प्राप्त हो सकते है।
वैवाहिक जीवन की परेशानियों को दूर करने के लिये इस श्लोक का जाप करना लाभकारी रहता है । वाहन दुर्घटना से बचाव करने के लिये यह मंत्र लाभकारी रहता है।
4. शुक्र का यन्त्र - शुक्र के अन्य उपायों में शुक्र यन्त्र का निर्माण करा कर उसे पूजा घर में रखने पर लाभ प्राप्त होता है। शुक्र यन्त्र की पहली लाईन के तीन खानों में 11,6,13 ये संख्याये लिखी जाती है। मध्य की लाईन में 12,10, 8 संख्या होनी चाहिए। तथा अन्त की लाईन में 07,14,9 संख्या लिखी जाती है।
शुक्र यन्त्र में प्राण प्रतिष्ठा करने के लिये किसी जानकार पण्डित की सलाह ली जा सकती है. यन्त्र पूजा घर में स्थापित करने के बाद उसकी नियमित रुप से साफ-सफाई का ध्यान रखना चाहिए.
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