Wednesday 6 November 2019

इन 8 उपायों से होता है शीघ्र विवाह

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1. हल्दी के प्रयोग से उपाय
विवाह योग लोगों को शीघ्र विवाह के लिये प्रत्येक गुरुवार को नहाने वाले पानी में एक चुटकी हल्दी डालकर स्नान करना चाहिए।  भोजन में केसर का सेवन करने से भी विवाह शीघ्र की संभावनाएं बनती है। 

2.  पीला वस्त्र धारण करना
विवाह के इक्छुक व्यक्ति को सदैव शरीर पर कोई भी एक पीला वस्त्र धारण करके रखना चाहिए। 

3.  वृ्द्धो का सम्मान करना
कभी भी व्यक्ति को अपने से बडों व वृद्धो का अपमान नहीं करना चाहिए। 

4.  गाय को रोटी खिलाना
विवाह के इक्छुक व्यक्ति को गुरुवार को गाय को दो आटे के पेडे पर थोडी हल्दी लगाकर खिलाना चाहिए साथ ही थोडा सा गुड व चने की पीली दाल भी खिलानी चाहिए ऐसा करने से शीघ्र विवाह की संभावनाएं बनती है। 

5.  शीघ्र विवाह प्रयोग
गुरुवार की शाम को पांच प्रकार की मिठाई, हरी ईलायची का जोडा तथा शुद्ध घी के दीपक के साथ जल अर्पित करना चाहिये।  यह प्रयोग लगातार तीन गुरुवार को करना चाहिए। 

शीघ्र विवाह के लिये यह एक अत्यंत गोपनीय  प्रयोग है। यह प्रयोग शुक्ल पक्ष के प्रथम गुरुवार करना चाहिए। 

6.  केले के वृ्क्ष की पूजा
गुरुवार को केले के वृ्क्ष के सामने बृहस्पति देव के 108 नामों का उच्चारण करने के साथ शुद्ध घी का दीपक जलाना चाहिए साथ ही जल भी अर्पित करना चाहिए। 

7.  मांगलिक योग का उपाय 
अगर किसी का विवाह कुण्डली के मांगलिक योग के कारण नहीं हो पा रहा है, तो ऎसे व्यक्ति को मंगलवार के दिन सतचण्डि का पाठ मंगलवार के दिन तथा शनिवार के दिन सुन्दरकाण्ड का पाठ करना चाहिए।  इससे भी विवाह में हो रहे अनावश्यक विलम्ब दूर होता है। 

8.  छुआरे सिरहाने रख कर सोना
यह उपाय उन व्यक्तियों को करना चाहिए।  जिन व्यक्तियों की विवाह की आयु हो चुकी है। इस उपाय को करने के लिये शुक्रवार की रात्रि में आठ छुआरे जल में उबाल कर किसी बर्तन में डालकर अपने बिस्तर के सिरहाने रख कर सोयें तथा शनिवार को प्रात: स्नान करने के बाद किसी भी बहते जल में इन्हें प्रवाहित कर दें। शीघ्र लाभ मिलता है

Devutthana Ekadashi Vrat 2019: चार माह बाद 8 नवंबर को जागेंगे देव, शुभ विवाह मुहूर्त 19 नवंबर से

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प्रति वर्ष चातुर्मास में भगवान शयनावस्था में होते है जिसके कारण सभी मांगलिक कार्यो पर रोक लग जाती है। इस वर्ष 2019 को चार माह की योगनिद्रा के बाद भगवान विष्णु 8 नवंबर को देव प्रबोधिनी एकादशी जिसे  देवोत्थान एकादशी या  देव उठनी एकादशी के नाम से भी जाना जाता है। देव प्रबोधिनी एकादशी वर्ष के स्वयंसिद्ध मुहूर्तों में से एक मानी जाती है। शास्त्रों के अनुसार यही वह दिन होता है जब भगवान अपनी चातुर्मास की निंद्रा से जागते है और यही से विवाह आदि समस्त मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाते हैं, लेकिन इस बार देव उठने के बाद विवाह के मुहूर्त 11 दिन बार से शुरू होंगे।  चुकी यह एकादशी अबूझ मुहुर्तो में से एक है इस दिन तो विवाह होते ही है परन्तु बाकि दिनों में तिथि, वार, कारण, ग्रहों का गोचर आदि कई विषयों को ध्यान में रखकर विवाह के मुहूर्त के समय का निर्णय किया जाता है। इस वर्ष देवउठनी एकदशी  पर विवाह तो होंगे ही परन्तु इसके बाद ठीक 11 दिन बाद से विवाह शुरू होंगे।

वैदिक पंचांग के अनुसार इस बार देव प्रबोधिनी एकादशी शुक्रवार को पूर्वाफाल्गुनी नक्षत्र के संयोग में आ रही है। इस दिन रवि योग भी रहेगा। इस दिन मंदिरों तथा प्रत्येक हिन्दू घरो में  तुलसी-शालिग्राम विवाह का आयोजन भी होता है। विवाह समय निर्धारण में रेखाओं का विशेष ध्यान रखा जाता है प्रत्येक पंचांगों में रेखाओं का उल्लेख दिया रहता है।  रेखा अनुसार विशिष्ट मुहूर्त 19 नवंबर से शुरू होंगे।

शुभ विवाह के मुहूर्त

नवंबर- 19, 20, 21, 22, 23, 28, 30

दिसंबर- 7, 11, 12

वर्ष 2020

जनवरी- 15, 16, 17, 18, 20, 29, 30, 31

फरवरी- 4, 9, 10, 16, 25, 26, 27

मार्च- 2, 1

उपनयन संस्कार मुहूर्त
जनवरी- 27, 29, 30, 31

फरवरी- 6, 13, 26, 28

मार्च- 5, 6, 11

मूर्ति प्रतिष्ठा  मुहूर्त
जनवरी- 17, 20, 27, 29, 30, 31

फरवरी- 1, 14, 16, 21, 26, 28

मार्च- 6, 11

गृह प्रवेश मुहूर्त
जनवरी- 17, 27, 30, 31

फरवरी- 26

मार्च- 6

Saturday 2 November 2019

Gopashtami में कैसे करें गौ पूजन, पढ़ें ये खास बातें

इस वर्ष गोपाष्टमी का पर्व 4 नवंबर, सोमवार को मनाया जा रहा है। हिन्दू संस्कृति में गाय का विशेष महत्व माना गया है और उन्हीं को समर्पित हैं ये गोपाष्टमी पर्व। धार्मिक शास्त्रों के अनुसार दिवाली के ठीक बाद आने वाली कार्तिक शुक्ल अष्टमी को गोपाष्टमी पर्व के रूप में मनाया जाता है।

पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दिन भगवान श्रीकृष्ण ने गौ चारण लीला शुरू की थी। कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन मां यशोदा ने भगवान कृष्ण को गौ चराने के लिए जंगल भेजा था। इस दिन गो, ग्वाल और भगवान श्रीकृष्ण का पूजन करने का महत्व है।

हिन्दू धर्म में गाय को माता का स्थान दिया गया है। अत: गाय को गौ माता भी कहा जाता है। आइए जानें कैसे मनाएं गोपाष्टमी पर्व?

* गोपाष्टमी यानी कार्तिक शुक्ल अष्टमी के दिन प्रात:काल में उठकर नित्य कर्म से निवृत्त होकर स्नानादि करके स्वच्छ धुले हुए वस्त्र धारण करें।

* तत्पश्चात प्रात:काल में ही गायों को भी स्नान आदि कराकर गौ माता के अंग में मेहंदी, हल्दी, रंग के छापे आदि लगाकर सजाएं।

* इस दिन बछड़े सहित गाय की पूजा करने का विधान है।

* प्रात:काल में ही धूप-दीप, अक्षत, रोली, गुड़ आदि वस्त्र तथा जल से गाय का पूजन किया जाता है और धूप-दीप से आरती उतारी जाती है।