Friday 18 December 2015

जैमिनी ज्योतिष

जैमिनी पद्धति के अनुसार व्यवसाय चयन हेतु कारकांश महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। (कारकांश आत्म कारक का नवमांश है) यदि कारकांश या उससे दसवां किसी ग्रह से युक्त न हो तो कारकांश से दशमेश की नवमांश में स्थिति से व्यवसाय ज्ञात किया जाता है।
1) कारकांश में सूर्य राजकीय सेवा देता है और राजनैतिक नेतृत्व देता है।
2) पूर्ण चंद्र व शुक्र कारकांश में लेखक व उपदेशक बनाता है।
3) कारकांश में बुध व्यापारी तथा कलाकार का योग प्रदान करता है।
4) बृहस्पति कारकांश में जातक को धार्मिक विषयों का गूढ़ विद्वान व दार्शनिक बनाता है।
5) कारकांश में शुक्र जातक को सरकारी अधिकारी शासक व लेखक बनाता है।
6) कारकांश में शनि जातक को विख्यात व्यापारी बनाता है।
7) कारकांश यदि राहु हो तो मशीन निर्माण कार्य, ठगी का कार्य करने वाला जातक को बना देता है।
8) कारकांश का केतु से संबंध हो तो जातक नीच कर्म तथा धोखाधड़ी से आजीविका कमाता है।
9) कारकांश यदि गुलिक की राशि हो और चंद्र से दृष्ट हो तो व्यक्ति अपने त्यागपूर्ण व्यवहार से और धार्मिक कार्यों से जीविका अर्जित करेगा।
10) कारकांश में यदि केतु हो और शुक्र से दृष्ट हो तो धार्मिक कार्यों से आजीविका अर्जित करेगा।
11) कारकांश यदि सूर्य व शुक्र द्वारा दृष्ट हो तो जातक राजा का कर्मचारी बनता है।
12) कारकांश से तीसरे और छठे में क्रूर ग्रह हों तो जातक खेती व बागवानी का कार्य करता है।
13) कारकांश में चंद्र हो और शुक्र से दृष्ट हो तो वह रसायन विज्ञान द्वारा आजीविका अर्जित करता है।
14) कारकांश में चंद्र यदि बुध द्वारा दृष्ट हो तो जातक डॉक्टर होता है।
15) कारकांश में शनि हो या उससे चौथे में हो तो जातक अस्त्र-शस्त्र विद्या में निपुण होता है।
16) कारकांश से चौथे में सूर्य या मंगल शस्त्रों से जीविका प्रदान करता है।
17) कारकांश से पांचवें या लग्न में चंद्र व गुरु जातक को लेखनी द्वारा जीविका अर्जन प्रदान करते हैं।
18) कारकांश में पांचवें व सातवें में गुरु हो तो व्यक्ति सरकारी उच्च अधिकारी होता है।
19) कारकांश में यदि शनि हो तो जातक पैतृक व्यवसाय करता है।
20) कारकांश लग्न या उससे पंचम स्थान में अकेला केतु हो तो मनुष्य ज्योतिषी गणितज्ञ, कंप्यूटर विशेषज्ञ होता है।
21) कारकांश लग्न से पंचम में राहु हो तो जातक एक अच्छा मैकेनिक होता है।
22)यदि नवांश में राहु आत्मकारक के साथ हो तो जातक चोरी, डकैती से आजीविका चलाता है।
23) कारकांश लग्न से शनि चतुर्थ या पंचम हो तो जातक निशानेबाज होता है और यही आजीविका का साधन भी हो सकता है।
24) कारकांश से पंचम में शुक्र हो तो जातक को कविता करने का शौक होता है।
25) कारकांश से पंचम में यदि गुरु हो तो जातक वेदों और उपनिषेदों का जानकार और विद्वान होता है तथा यही जातक की आजीविका का साधन भी होता है।
26) कारकांश से पंचम में यदि सूर्य हो तो जातक दार्शनिक तथा संगीतज्ञ होता है।

रामायण का नाम वाल्मीकि जी ने राम चरित मानस क्यों रखा ?

तुलसी दास जी ने जब राम चरित मानस की रचना की, तब उनसे किसी ने पूंछा कि बाबा!आप ने इसका नाम रामायण क्यों नहीं रखा? क्योकि इसका नाम रामायण ही है.बस आगे पीछे नाम लगा देते है,वाल्मीकि रामायण,आध्यात्मिक रामायण.आपने राम चरित मानस ही क्यों नाम रखा?

बाबा ने कहा - क्योकि रामायण और राम चरित मानस में एक बहुत बड़ा अंतर है.रामायण का अर्थ है राम का मंदिर, राम का घर,जब हम मंदिर जाते है तो एक समय पर जाना होता है,मंदिर जाने के लिए नहाना पडता है,जब मंदिर जाते है तो खाली हाथ नहीं जाते कुछ फूल,फल साथ लेकर जाना होता है.मंदिर जाने कि शर्त होती है,मंदिर साफ सुथरा होकर जाया जाता है.

और मानस अर्थात सरोवर, सरोवर में ऐसी कोई शर्त नहीं होती,समय की पाबंधी नहीं होती,जाती का भेद नहीं होता कि केवल हिंदू ही सरोवर में स्नान कर सकता है,कोई भी हो ,कैसा भी हो? और व्यक्ति जब मैला होता है, गन्दा होता है तभी सरोवर में स्नान करने जाता है.माँ की गोद में कभी भी कैसे भी बैठा जा सकता है.

इसलिए जो शुद्ध हो चुके है वे रामायण में चले जाए और जो शुद्ध होना चाहते है वे राम चरित मानस में आ जाए.राम कथा जीवन के दोष मिटाती है
"रामचरित मानस एहिनामा, सुनत श्रवन पाइअ विश्रामा"
राम चरित मानस तुलसीदास जी ने जब किताब पर ये शब्द लिखे तो आड़े (horizontal)में रामचरितमानस ऐसा नहीं लिखा, खड़े में लिखा (vertical)
राम
चरित
मानस

किसी ने गोस्वामी जी से पूंछा आपने खड़े में क्यों लिखा तो गोस्वामी जी कहते है रामचरित मानस राम दर्शन की ,राम मिलन की सीढी है ,जिस प्रकार हम घर में कलर कराते है तो एक लकड़ी की सीढी लगाते है ,जिसे हमारे यहाँ नसेनी कहते है,जिसमे डंडे लगे होते है,गोस्वामी जी कहते है रामचरित मानस भी राम मिलन की सीढी है जिसके प्रथम डंडे पर पैर रखते ही श्रीराम चन्द्र जी के दर्शन होने लगते है,अर्थात यदि कोई बाल काण्ड ही पढ़ ले, तो उसे राम जी का दर्शन हो जायेगा.