- ईशान कोण (उत्तर-पूर्वी) में झाडू-पोचा या कुड़ादान नहीं रखना चाहिए ।
- सांयकाल में झाडू-पौंछे का काम नहीं करना चाहिए ।
- पूर्वमुखी मकान में जूते रखने का स्थान प्रवेश द्वार के दाहिने तरफ नही होना चाहियें।
- घर में टूटा दर्पण, टूटी चारपाई, बंद घडी या किसी बन्द मशीन का रखा होना सुख समृद्धि की दृष्टि से अशुभ-कारक है ।
- घर में उत्तर दिशा के कमरे में जेवर, गहने, सोने-चाँदी का सामान रखने से इनकी संख्या में बढोतरी होती हैं।
- अनाज का कमरा उत्तर दिशामध्य से उत्तर-पश्चिम कोण के मध्य होना चाहिए। ऐसा करने से घर में संपन्नता बनी रहती हैं।
- किसी कारणवश यदि पूजाघर ईशान कोण में नही लग पा रहा हैं तो पूर्व या उत्तर दिशा में भी व्यवस्था कि जा सकती हैं।
- घर में शेर, गिद्ध, बाज आदि के चित्र नही होने चाहिये।
- घर के ईशान कोण पर कूड़ा-कर्कट भी इकठ्ठा न होने दें ।
- यदि भूमि कछुए के पीठ के समान मध्य से ऊँची हो, तो ऐसे भूखण्ड पर निवास करने से धन-समृद्धि की प्राप्ति होती है ।
- घर में काँटेदार एवं दूध वाले वृक्षों का रोपण नहीं करना चाहिए । चम्पा, चमेली, अनार, केला, हरसिंगार के वृक्ष शुभ माने जाते हैं ।
- भूमि में यदि उत्तर-पूर्वी कोण (ईशान) में ढलान हो या तल नीचा हो, तो गृह स्वामी को धन एवं सुख प्रदान करती है ।
- ईंट, पत्थर, लकड़ी इत्यादि नये भवन के निर्माण में नये ही लगाने चाहिए । किसी पुराने भवन से उखाड़कर नये भवन के निर्माण में इनका उपयोग नहीं करना चाहिए ।
- यदि घर का मुख्य द्वार स्वत: ही खुलता या बन्द होता हैं तो यह अशुभ सुचक माना जाता हैं।
- द्वार के ऊपर यदि द्वार का निर्माण करना हो तो उपर के द्वार का माप नीचे के द्वार के माप से कुछ कम होना चाहिये।
- दरवाजा टेढ़ा-मेढ़ा, जोड़ लगा हुआ, लटका हुआ नहीं होना चाहिए। यदि ऐसा हो तो घर में संकट के बादल छाए रहते हैं।
- चौखट यदि एक ओर बड़ी और दूसरी ओर छोटी हो, तो इसे अशुभ फल-प्रदायक माना जाता है।
- घर के खिड़की दरवाजे इस प्रकार होनी चाहिए, कि सूर्य का प्रकाश ज्यादा से ज्यादा समय के लिए घर के अंदर आए। इससे घर की बीमारियां दूर भागती हैं।
- रसोई घर में पूजा की अल्मारी या मंदिर नहीं रखना चाहिए।
- घर में शौचालय के बगल में देवस्थान नहीं होना चाहिए।
Friday 22 March 2013
वास्तु टिप्स
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