Sunday, 24 June 2012

क्या कहते है ग्रह आपके बारे में?

हमारे नवग्रह मण्डल में सूर्य, चन्द्रमा, मंगल बुध, बृहस्पति, शुक्र, शनि राहू एवं केतु आदि नौ ग्रह सम्मिलित हैं। सम्पूर्ण संसार इन्हीं नवग्रहों के अधीन है। प्रत्येक व्यक्ति के  क्रियाकलाप, कार्य करने का , सोचने का ढंग अलग-अलग होता है। प्रत्येक व्यक्ति पर किसी विशेष ग्रह का प्रभाव होता है, जिसके अधीन रहकर वह अपने जीवन को व्यतीत करता है। कोई भी दो व्यक्तियों की प्रकृति समान नहीं होती है,क्योंकि ग्रहों की प्रकृति भिन्न होती है। जिस व्यक्ति की जन्मपत्रिका में जो ग्रह बलवान होता हैं, उस व्यक्ति का स्वभाव, आचरण, कार्यशैली भी उस ग्रह के अनुसार ही हो जाती हैं। अब हम यह देखने व समझने का प्रयास करेंगे कि किसी व्यक्ति विशेष पर किस ग्रह विशेष का सर्वाधिक प्रभाव है, उसके लिए हमें ग्रहों की प्रकृति का ज्ञान होना आवश्यक है। 

आइये जाने अपने आप को:-

सूर्य-
नवग्रह मण्डल में सूर्य को राजा की पदवी दी गई है, जिसके फलस्वरूप व्यक्ति में राजसी गुणों की अधिकता होती है। नीतियां बनाना, आदेश देना तथा आदेश का पालन न होने पर क्रोधित होना। लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं करते हैं। इन्हें इनकी स्वतन्त्रता बहुत  प्रिय होती है, जिसके चलते किसी से आदेशित होना इन्हें नागवार गुजरता है और इसी वजह से ये थोड़े से लापरवाह भी हो जाते हैं। सूर्य प्रधान व्यक्तियों की नजरें बहुत तेज होती हैं। शरीर पर बाल बहुत कम होते हैं। सूर्य प्रधान व्यक्ति अत्यधिक ऊर्जावान होते हैं, ये बहुत देर तक खाली नहीं रह सकते या ये कहें कि ये कभी रिटायरमेन्ट लेकर घर पर नहीं बैठ सकते।

चन्द्रमा-
क्योंकि चन्द्रमा जलीय ग्रह है, इसलिए चन्द्र प्रधान व्यक्तियों की शारीरिक बनावट स्थूल होती है। स्वभाव में चंचलता अधिक होती है, इसलिए मन हमेशा चलायमान रहता है। ये लोग एक जगह स्थिर होकर ज्यादा देर तक नहीं बैठ सकते। इनके मस्तिष्क में सदैव कुछ न कुछ चलता रहता है। ये कल्पनालोक में अधिक रहते हैं। बड़ी-बड़ी योजनाएं बनाते बहुत हैं पर उन पर अमल कम करते हैं। इनमें स्त्रियोचित गुण अधिक पाये जाते हैं। ये शारीरिक मेहनत कम करते हैं। स्वभाव से कोमल होते हैं। सभी के प्रति स्नेहमय इनका व्यवहार होता है। 

मंगल-
मंगल अग्नि तत्व ग्रह है, इसलिए मंगल प्रधान व्यक्ति आपको कभी भी मोटे नहीं मिलेंगे, विशेषकर इनकी कमर पतली होती है। चेहरे पर कोई तिल, मस्सा अथवा चोट का निशान जरूर मिलता है। आईब्रो अथवा उसके आसपास कट का निशान जरूर मिलता है। ये लोग शीघ्र ही क्रोधित हो जाते हैं। किसी भी कार्य में जल्दबाजी अथवा उतावलापन दिखाना जैसे इनके स्वभाव में ही सम्मिलित होता है। एक क्षण के लिए भी शांत नहीं बैठते हैं, कुछ न कुछ करते ही रहेंगे। किसी भी बात को ऐसे ही स्वीकार नहीं करते तर्क जरूर करते हैं। मंगल प्रधान व्यक्तियों से आप आंखें मिलाकर बात नहीं कर सकते हैं। किसी भी कार्य में पहल करने से पीछे नहीं रहते। साहसी होते हैं। इनकी दृष्टि से कोई भी बात नहीं छूटती है। बाज जैसी दृष्टि आप कह सकते हैं। इनके बाल बहुत सुन्दर होते हैं। काले, घने और घुंघराले। ये अपनी आयु से हमेशा कम ही प्रतीत होते हैं। व्यवहार में व्यवस्थित होते हैं तथा कोई भी कार्य पूर्वयोजना बनाकर ही करते हैं। स्वभाव से उदार होते हैं।

बुध-
बुध व्यावसायिक प्रकृति का ग्रह है, जिस कारण बुध प्रधान जातक हर काम में अपने लाभ ढूंढ ही लेता है। हर बात में सौदेबाजी करना इनका स्वभाव होता है। बुध प्रधान जातक बोलते बहुत हैं, लेकिन आकर्षक बोलते हैं। इनके लिए लोगों से सम्पर्क बनाना बहुत ही आसान है। इसलिए ये किसी भी उम्र के व्यक्ति के साथ आसानी से घुलमिल जाते हैं। किसी व्यक्ति से लाभ कैसे लेना है, ये इन्हे बखूबी आता है। शारीरिक श्रम से ये बचते हैं। मस्तिष्क के कार्य आप इनसे जितने ही करवा लें। ये जो भी बोलते हैं, उसको समझना हर किसी के बस की बात नहीं होती है। इनका रंग सांवला, लेकिन व्यक्तित्व आकर्षक होता है। अपने पहनावे पर ये ज्यादा समय बर्बाद नहीं करते हैं। धन संग्रह करना इनका मुख्य शौक है, ये अपव्ययी नहीं होते हैं।

बृहस्पति-
बृहस्पति प्रधान जातक औसत कद-काठी के होते हैं, न बहुत अधिक ना ही बहुत कम। आंखों का रंग पीलापन लिए होता है। बालों का एवं भौंहों का रंग भूरा अथवा कत्थई होता है। कम आयु में ही बाल सफेद हो जाते हैं तथा गंजापन आ जाता है, लेकिन यह ध्यान रखें कि ये आनुवांशिक न हो। ये शांत एवं गम्भीर स्वभाव के होते हैं। ज्यादा भीड़ वाली जगह में रहना पसन्द नहीं करते, बल्कि एकान्त में रहकर अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए निरन्तर प्रयासरत रहते हैं। इनकी विद्वता इनके चेहरे से ही प्रतीत होती है। शास्त्रों एवं गम्भीर विषयों में इनकी रूचि होती है। ये ज्ञानी एवं अपने विषय में दक्ष होते हैं। कार्य नियमबद्ध तरीके से करना इन्हें पसन्द होता है और इनके व्यवहार में भी ये शामिल होता है। शिक्षण इनकी पहली पसन्द होता है।

शुक्र-
शुक्र प्रधान जातक देखने में सुन्दर एवं आकर्षक व्यक्तित्व के धनी होते हैं। कोई भी आसानी से इनकी ओर आकर्षित हो जाता है। इनको खुद को संवारने में विशेष रूचि होती है। सौन्दर्य के लिए उपयोग होने वाली प्रत्येक वस्तु यथा-वस्त्र, इत्र, ज्वैलरी आदि हर चीज में इन्हें रूचि होती है।
शुक्र स्त्रीकारक ग्रह होने से शुक्र प्रधान जातकों में स्त्रियोचित गुण अधिक पाये जाते हैं। ये वैसे तो सदैव नए वस्त्र पहनना ही पसन्द करते हैं लेकिन ये पुराने वस्त्र एवं अन्य वस्तुओं को भी बहुत ही सलीके से पहनते हैं। हर सुन्दर चीज से इन्हें प्रेम होता है।
ये व्यक्ति स्वभाव से रोमांटिक होते हैं। बाल काले एवं घुंघराले होते हैं, व्यवस्थित जीवनशैली होती है। संगीत एवं मनोरंजन में रूचि रखते हैं। विपरीत लिंग के प्रति विशेष झुकाव होता है। ज्यादातर उन्हीं से घिरे रहते हैं और उनमें लोकप्रिय भी होते हैं।

शनि-
शनि प्रधान जातक का रंग सांवला होता है। ये शान्त, गम्भीर एवं सोच विचार कर कार्य करने की प्रवृत्ति के होते हैं, किसी भी कार्य में जल्दबाजी नहीं होती, बल्कि औरों से धीमी गति होती है कोई भी कार्य करने की। इनके विचार स्थिरता लिए होते हैं, किसी की बातों में नहीं आते। व्यवहारिक ज्ञान अच्छा होता है, जिससे लोगों से व्यवहार बनाने में चतुर होते हैं। किसी व्यक्ति के अन्दर क्या योग्यता है, उनसे कैसे काम लेना है ये इन्हें अच्छी तरह से आता है, किसी की योग्यता को निखारने का काम अच्छे से करते हैं। दूरदर्शिता होती है। हमेशा सभी बिन्दुओं पर विचार करके कार्य करते हैं।

राहू-केतु -
राहू से प्रभावित व्यक्ति योजना बनाकर काम करते हैं, लेकिन काम करने से पहले बोलते नहीं हैं। इनके मन की थाह पाना बहुत ही मुश्किल होता है। सोचविचार कर अपना लाभ-हानि देखकर कार्य करते हैं। स्वार्थी एवं दुष्ट प्रवृत्ति होती है। महत्वाकांक्षी होते हैं। दूसरों के विषय में तो सब कुछ जानने की इच्छा रखते हैं लेकिन अपने बारे में कुछ भी  बताना पसन्द नहीं करते हैं। अपने कार्य  में  किसी की दखलअंदाजी इन्हें पसन्द नहीं। दूसरों में कमियां निकालना इन्हें बहुत प्रिय होता है।

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