Tuesday 18 December 2012

शक्ति रूद्राक्ष - शिव

रूद्राक्ष शब्द रूद्र + अक्ष से बना है।  रूद्राक्ष साक्षात शिव का स्वरूप है, इसमें भगवान शिव की शक्ति विद्यमान है। रूद्र का अर्थ शिव होता है तथा अक्ष का आंसू अर्थात् शिव का आंसू ही रूद्राक्ष हैं। जिस प्रकार शिव का अर्थ कल्याण होता है, उसी प्रकार रूद्राक्ष भी कल्याणकारी होता है। हमारे ग्रंथों में भी रूद्राक्ष का वर्णन एवं महात्म्य वर्णित हैं। रूद्राक्ष की उत्पत्ति के संदर्भ में जो कथा प्रचलित हैं वो इस प्रकार हैं।
प्राचीन काल में त्रिपुरासुर नामक एक महाबली दैत्य था, उस दैत्य को मारने व देवताओं की रक्षा एवं समस्त विघ्न बाधाओं को दूर करने के लिए जब शिवजी किसी अघोरास्त्र की रचना पर विचार कर रहें थे।  उस समय उनके थके हुए तथा उन्मेलित नेत्रों से जल की कुछ बूंदें पृथ्वी पर गिरी। उन  बूंदों से ही रूद्रक्ष की उत्पत्ति हुई।
रूद्राक्षाणां फलं तस्य त्रिषु लोकेषु विश्रुतम्
लक्षं तत्स्पर्शने पुण्यं कोटिर्भवति मालनात्
रूद्राक्ष फल के स्पर्श मात्र से ही कई लाख गुणा पुण्य प्राप्त होता है तथा धारण रकरने पर तो कोटि-कोटि फल प्राप्त होता है।
रूद्रक्ष के प्रकार - रूद्रक्ष चार प्रकार के होते है।
1. सफेद
2. लाल
3. मिश्रित
4. काला

आकार के हिसाब से आंवले के बराबर आकार का रूद्राक्ष श्रेष्ठ माना जाता है। रूद्राक्ष में धारियां होती हैं, इन धारियों को ही मुख कहा जाता है। यह एक से लेकर चौदह मुखी तक होती हैं।
रूद्राक्ष के फल -
1.    रूद्राक्ष धारण किए मनुष्य से, शिव, विष्णु देवी गणेश, सूर्य आदि सभी देवता प्रसन्न होते हैं।
2.    रूद्राक्ष की माला द्वारा जपने से मंत्र समस्त फल देने वाले होते हैं।
3.    रूद्राक्ष के मुख से ब्रह्मा, मध्य में रूद्र तथा तल में विष्णु का निवास होता है।

एक से चौदह मुखी रूद्राक्ष के अलग-अलग कार्य होते हैं। जो इस प्रकार हैं।

एक मुखी: एक मुखी रूद्राक्ष साक्षात् शिव है। यह अत्यन्त दुर्लभ होता है। यह अन्य रूद्राक्षो के मुकाबले बहुत ही कम पैदा होता हैं। इसको धारण करने से सभी प्रकार के पापों का शमन होता है तथा यह धन धान्य देने वाला, रोगमुक्ति शत्रु पर विजय पाने वाला तथा सभी मनोकामनाएं पूर्ण करने वाला होता है।
विशेष -  एक मुखी रूद्रक्ष यदि गल्ले में रखें तो कभी धन की कमी नही होगी। उसपर सदैव शिव की कृपा बनी रहेगी।

    दो मुखी: दो मुखी रूद्राक्ष अद्र्धनारीश्वर स्वरूप हैं। यह शिव तथा शक्ति का संयुक्त रूप हैं। इसे धारण करने से  तामसिक वृत्तियों का परिहार, चित्त एकाग्रता, मानसिक शांति ,आध्यात्मिक उत्थान व कुण्डलिनी जाग्रत होती हैं। यह श्रद्धा  तथा विश्वास का प्रतिक हैं।




तीन मुखी: इसको अग्नि का स्वरूप हैं।  यह सत, रज तथा तम का त्रिगुणात्मक शक्ति रूप हैं। इस रूद्राक्ष में ब्रहा, विष्णु, महेश तीनो देवो कि शक्तियों का समावेश हैं। इसको धारण करने से व्यक्ति क्रियाशील रहता है। यदि नौकरी नही लग रही हो, व्यक्ति बेकार ही बैठा हो तो यह रूद्राक्ष फायदेमंद रहता है। व्यक्ति के समस्त पापो का क्षय करता है तथा दया, धर्म, परोपकार के भाव जाग्रत करता हैं।


चार मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष चतुर्मुख ब्रह्मा का स्वरूप है, इसमें चार वेदों का समावेश है। यह व्यक्ति को धर्म, अर्थ, काम, मोक्ष प्रदान करने वाला है, इस रुद्राक्ष को धारण करने से व्यक्ति आरोग्यवान, ज्ञानवान, बुद्धिवान होता है। अग्निपुराण में यहाँ तक लिखा है कि इसके प्रभाव से व्याभिचारी भी ब्रह्मचारी तथा मस्तिष्क आस्तिम हो जाता है।
विशेष:- चार वेदों के समावेश से यह विद्यार्थी व ज्योतिषविदों के लिए परम लाभदायक है।
पंचमुखी रुद्राक्ष: इसको कालाग्नि के नाम से जानते हैं, यह स्वयं रुद्र स्वरूप है, इसमें शिव के पाँचों रुप (रुधेजात, ईशान, तत्पुरुष, अधोर तथा कामदेव) विद्यमान हैं, जिससे यह पर उपयोगी हो जाता है। इसे धारण करने से हृदय स्वच्छ, मन शांत तथा दिमाग को शांति प्रदान करता है, यह शत्रुओं को परास्त, रोगों के नाश, प्रेत बाधा की समाप्ति करने में सक्षम है।
विशेष:- इसे कम से कम 3 या पाँच की संख्या में ही धारण करें।
 छ: मुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष परमकल्याणकारी है। जहाँ यह एक ओर कात्र्तिकेय की शक्ति का केन्द्र बिन्दु है, वहीं दूसरी तरफ गणपति के विद्या, ज्ञान, बुद्धि का प्रतीक भी है। यह रुद्राक्ष छ: प्रकार की बुराइयों (काम, क्रोध, लोभ, मोक्ष, मोह, मद, मत्सर) को भी नष्ट करता है। इसे धारण करने पर व्यक्ति दरिद्रता, चर्म रोगों से मुक्त होकर लक्ष्मीवान हो जाता है।


सप्तमुखी रुद्राक्ष: यह रुद्राक्ष सप्तऋषियों का स्वरूप है। अत: इसमें सप्त ऋषियों का आशीर्वाद (ओज, तेज, ज्ञान, बल) विद्यमान है। यदि किसी व्यक्ति के मारकेश की दशा चल रही हो या साढ़ेसाती के प्रभाव में कष्ट  पा रहा हो तो उसने अशुभ प्रभाव की शांति हेतु इसे धारण करना चाहिए। यह धन-सम्पत्ति, कीर्ति और विजय प्रदान करने में भी सक्षम है।