भगवान
श्रीकृष्ण का जन्म क्यो व किस कारण हुआ तथा किस प्रकार उन्होनें कंश व कंश द्वारा भेजे
हुए राक्षसों का वध किया ये सभी जानते है।
भाद्रपद मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथी
जोकि रोहिणी नक्षत्र युक्त थी को श्रीकृष्ण का जन्म हुआ था। जिस दिन भगवान कृष्णा का
जन्म हुआ उस दिन को हम जन्माष्टमी के रुप में मनाते है।
चुकिं
इस दिन रोहिणी नक्षत्र था अत: जब जन्माष्टमी के दिन रोहिणी नक्षत्र हो तो वह च्च्जयंतीज्ज्
अन्यथा च्च्केवलाज्ज् कहलाती हैं।
जयंती
जन्माष्टमी समस्त मनोकामनाओं को पूर्ण करने वाली होती है। यदि इस दिन सोमवार या बुधवार
पडे तो पुण्यफल में और भी वृद्धि होजाती है।
यदि
जयंती जन्माष्टमी सोमवार या बुधवार को हो और साथ में गोचर में चन्द्र-बुध की युती हो
तो अत्यन्त लाभदायक सिद्ध होती हैं। ये हजार अश्वमेघयज्ञ का फल प्रदान करने वाली, जन्म
जन्मांतर के पापों को हरने वाली होती है। किन्तु ऐसा योग वर्षों में बाद कभी-कभी ही
आता हैं।