Thursday 8 November 2012

क्या बदलाव लाएगें धनु के मंगल आपके जीवन में ?

नवग्रहों में प्रत्येक ग्रह को अपना-अपना कारकत्व प्राप्त होता है। जैसे सूर्य पिता, सरकारी या स्वयं का व्यवसाय, अधिकारियों के साथ सामंजस्य का कारक है। शरीर में आत्मा, हड्डी, सिर का प्रतिनिधित्व करता है। इसी प्रकार मंगल छोटे भाई-बहन, मामा, ब्रण (घाव), वाद-विवाद, झगड़े, सज्जा, रक्त, पित्त, साहस, शोर्य आदि का कारक है। मंगल प्रधान व्यक्ति में मंगल के रहन-सहन गुण देखने को मिलते हैं।
                        मंगल एक ऊर्जात्मक ग्रह है, जब ये पत्रिका में किसी भी प्रकार व्यक्ति को प्रभावित करते हैं तो भूमि-भवन, कोर्ट-कचहरी, साहस, तर्क, शक्ति व  अहम आदि से संबंधित विषयों से हानि-लाभ दिलवातें हैं। यदि पत्रिका में मंगल की स्थिती व षडबल में बल भी अच्छा हो तो व्यक्ति जीवन में सफलता के नये-नये रास्ते खोजता है। वही यदि मंगल कमजोर, अस्त या शत्रु हो तो भारी कठिनाईयों का सामना करता है।
9 नवम्बर 2012 को मंगल अपनी राशि वृश्चिक से धनु राशि में गोचरवश पहुंच जाएंगे।
यहाँ ये 13 दिसम्बर तक रहेंगे। प्रत्येक राशि पर इनका अलग-अलग प्रभाव पड़ेगा:-
मेष:- आपकी राशि से मंगल भाग्य भाव में गोचर करेंगे, अब तक आपको जो शारीरिक व मानसिक कष्ट हो रहा  था, अब धीरे-धीरे उसमें सुधार होने लगेगा, मंगल चूंकि आपकी राशि मेष के स्वामी हैं और नवम में गोचर कर रहे हैं। इस गोचर में जहाँ पूर्वाद्र्ध में शारीरिक कमजोरी महसूस होगी, छुट-पुट शत्रु उत्पन्न होंगे, धन की कमी सताने लगेगी, वहीं उत्तराद्र्ध में समस्त समस्याओं से छुटकारा प्राप्त होगा।
    जमीन-जायदाद से संबंधित मामलें, जो कोर्ट में चल रहे हैं या क्रय-विक्रय का विचार है, किन्तु उसकी पूर्णता पर नहीं पहुंच पा रहे हैं, तो अब यह मामले पूर्ण होने लगेंगे। घर की आवश्यकतायें कर्ज के रूप में पूरी होगी। जीवनसाथी से चली आ रही रोक-टोक प्यार में बदलने लगेगी। यात्रा सफल रहेगी।

वृषभ:- मंगल का यह गोचर आपके लिए कष्टकारी रहेगा क्योंकि इस समय मंगल आपकी राशि से अष्टम भाव अर्थात् आयु भाव में गोचरवश आ गए हैं। मंगल की यह स्थिति आपकी आय के स्त्रोत को भी प्रभावित करेगी। गुदा प्रदेश के आस-पास या नेत्र से संबंधित रोग हो सकतें हैं। आयु का हृास, परेदेश-गमन, बल व पराक्रम को भी प्रभावित करेंगे। इस समय आपको चाहिये आप हनुमान जी की भरपूर सेवा करें।

मिथुन:- आपकी राशि मिथुन से गोचरवश मंगल सप्तम भाव में स्थित हैं। जन्मपत्रिका में सप्तम भाव स्त्री, साझेदारी (व्यापारिक), व्यापार आदि से संबंधित है। मंगल यहाँ स्थित होकर स्त्री से कलह, स्त्री के स्वास्थ्य संबंधी समस्या, यदि व्यापार साझेदारी का है तो साझेदारी द्वारा आर्थिक नुकसान होता है, जिसके परिणामस्वरूप  आप पर आर्थिक संकट उत्पन्न होता है। मानसिक व शारीरिक कष्ट होता है। साथ ही स्वयं के भाइयों से शत्रुता प्रधान करेंगे, वैवाहिक सुख न के बराबर प्राप्त होगा। किन्तु मामा व संतान पक्ष से लाभ होता है।
कर्क:- आपकी राशि में मंगल छठे भाव में गोचर कर रहे हैं। अत : आपको जो संतान पक्ष की चिंता या उनके द्वारा प्रदान किये जाने वाले कष्ट, शत्रु पीड़ा, मान-प्रतिष्ठा में लगातार हो रही कमी से दुखी थे अब उनसे सबसे छुटकारा मिल ने लगेगा।
    छठा मंगल आपको अन्न, धन, बल, शत्रुओं पर विजय, यश प्राप्ति करवाता है। कार्यस्थल पर भी आपके कार्यों की प्रशंसा होगी। यदि आप सर्विस करते हैं तो अधिकारी वर्ग अब आपके अनुकूल हो चलेंगे। घर, जमीन या वाहन खरीदने का योग बनेगा।

सिंह:- आपकी राशि के अनुसार मंगल पंचम भाव में गोचर कर रहे हैं। मंगल का यह गोचर आपके लिए कष्टकारी रहेगा। यदि आप व्यापार करते हैं तो हानि होगी और नौकरी करते हैं तो अधिकारी वर्ग से परेशानी आएगी। समाज में प्रतिष्ठा घटने लगेगी। संतान को कष्ट होगा। इस समय जिन्हें संतान होने की उम्मीद चली आ रही है अर्थात् प्रेगेनेन्सी कन्फर्म हो चुकी थी, उन्हें विशेष ध्यान रखना चाहिए। यह गोचर उनकी संतान के लिए अत्यनत कष्टकारी है। संतान लक्ष्य की प्राप्ति के लिए अनैतिक तरीका न अपनाए अन्यथा भारी हानि उठानी होगी।

कन्या:- आपकी की जन्मराशि से मंगल गोचरवश चतुर्थ भाव में आ गए हैं, जन्मपत्रिका का चतुर्थ भाव जमीन-जायदाद, माता, रिश्ते-नाते, सुख-सुविधा, शिक्षा आदि से संबंधित होता है। मंगल का यह गोचर चतुर्थ भाव से संबंधित प्रत्येक विषयों पर विपरीत प्रभाव डालेगा, जैसे माता को शारीरिक कष्ट, शत्रु वृद्धि, स्त्री को कष्ट, कार्यस्थल पर असफलता, आय के साधनों में कमी, ज्वर, वक्षस्थल या रक्त विकार से संबंधित रोग, शत्रु वृद्धि, स्वजनों का विरोध, स्वयं के बल व पराक्रम में कमी होगी।

तुला:- आपकी राशि से मंगल का गोचर तृतीय भाव में हो रहा है। मंगल का यह गोचर अच्छा होता है। पत्रिका का तृतीय भाव अन्य विषयों के साथ-साथ बल व पराक्रम से संबंधित भी होता है और मंगल ऊर्जावान व पराक्रम से संबंधित ग्रह हैं।
    पिछले समय से चली आ रही समस्याएँ समाप्त होने लगेगी। आपके शत्रु जो अब तक किसी न किसी रूप में परेशान कर रहे थे, अब आपका कुछ भी नहीं बिगाड़ पाएंगे। आप अपने अंदर एक नवीन ऊर्जा को महसूस करेंगे। सामाजिक प्रतिष्ठा बढ़ेगी। कोर्ट-कचहरी के मामले अब आपके पक्ष में होने लगेंगे।

वृश्चिक:- आपकी राशि से मंगल द्वितीय भाव में गोचर कर रहे हैं। पत्रिका का द्वितीय भाव, धन, कुटुम्ब, वाणि आदि से संबंधित होता है। मंगल चूंकि ऊर्जात्मक ग्रह हैं और धनु राशि भी अग्नि तत्व है अर्थात् ऊर्जा ऊर्जा का भयंकर प्रवाह आपकी वाणि में देखने को मिलेगा, जिसके प्रभाव से लोग आपसे दूरी बनाने लगेंगे। जहाँ द्वादश शनि साढ़े साती के द्वारा कष्ट पहुंचाना शुरु कर  चुके थे, वही मंगल आग में घी का कार्य करेंगे। यदि आप विवाहित हैं तो जीवन साथी के साथ मतभेद बढ़ेगा। आपको चाहिए की आप मंगल देव की आराधना करें।

धनु:- इस  समय मंगल का गोचर आपकी राशि पर से हो रहा है। आपकी राशि धनु तथा ग्रहों में मंगल दोनों ही ऊर्जा प्रधान ग्रह हैं, परिणामस्वरूप मन बैचेन रहेगा, वाहन से कष्ट, संतान से व संतान को कष्ट, कार्यक्षेत्र पर अधिकारी वर्ग से परेशानी, व्रण, ज्वर या रक्त विकार, जीवन साथी को कष्ट आदि परिणाम प्रापत होंगे।
यात्राओं में भारी कष्ट होता है, जमीन-जायदाद से संंबंधित मामलों में कष्ट होता है।

मकर:- आपकी जन्मराशि से मंगल गोचरवश द्वादश भाव में हो रहा है। मंगल का यह गोचर शुभ नहीं होता है। पत्रिका का प्रत्येक भाव से 12वाँ भाव उस भाव का खण्डन करता है अर्थात् द्वादश मंगल शारीरिक कष्ट, नेत्र रोग, जीवन साथी को स्वास्थ्य संबंधी परेशानी, मान-सम्मान में कमी।
    पंचम भाव पुत्र से संबंधित होता है और पंचम से अष्टम द्वादश भाव हुआ, जिसके परिणामस्वरूप संतान पक्ष को कष्ट होता है। यदि संतान किसी प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी में लगी हो तो सफलता नहीं मिलेगी।

कुंभ:- मंगल आपकी राशि में एकादश भाव में गोचर कर रहे हैं। पत्रिका का एकादश आय, बड़े भाई-बहन, लाभ सिद्धि, वैभव आदि विषयों से संबंधित होता है। मंगल का इस भाव से गोचर एकादश भाव से संबंधित विषयों की प्राप्ति को दर्शाता है अर्थात् समय अनुकूल होने लगता है। लाभ के साधन बढ़ते हैं। व्यापार भी बढ़ता है। भाईयों का सहयोग प्राप्त होता है। साथ ही शत्रु परास्त होते हैं। कार्यों में सफलता मिलती है। जो अविवाहित हैं, उनके विवाह तय होते हैं। इस समय आपको वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। साथ ही  विवाहित  हैं तो संतान का ध्यान रखें, उन्हें कुछ कष्ट हो सकता है।

मीन:- जन्म पत्रिका का दशम भाव व्यवसाय, नौकरी, मान-सम्मान, ज्ञान, पिता, कर्म, कीर्ति, जय-विजय आदि से संबंधित होता है। मंगल अपनी राशि मीन से दशम में गोचर कर रहे हैं। मंगल जहाँ अपनी राशि मेश से नवम है, वही दूसरी राशि वृश्चिक से द्वितीय भी हैं।
    नवम भाव भाज्य व द्वितीय धन, कुटुम्ब से संबंधित है। मंगल इस गोचर में आपको जहाँ एक और धन प्राप्ति व भाग्य बढ़ायेंगे, वहीं दूसरी ओर आपमें एक असीम ऊर्जा भी प्रभावित करेंगे। व्यापार से लाभ होगा। भूमि-भवन से संबंधित मामले जोर पकड़ेंगे। पद-प्रतिष्ठा बढ़ेगी।